बुधवार, 7 सितंबर 2011

मेरी चाहत इस कदर है उस के लिए ये बता पाना शायद मुमकिन नहीं है वो जब देर करती है तोह मै ये सोचता हु की आज उससे मै बिलकुल बात बही करूँगा लेकिन मै ठहरा दीवाना उससे बात किये बिना रह नहीं पाता तकलीफ होती है जब वो मुझसे बहोत कम बात करती है लेकिन उसकी खातिर मै सब सह लेता हू शायद इसी कारण ताकि उसको बुरा ना लगे। सच में मै उसके प्यार में पागल हू उसको मै जताते रहता हू की कितनी मोहोब्बत है वो जानती भी है लेकिन फिर भी मै उसको रोज जताता हू मेरी चाहत क्या है उसके लिए वो अगर कभी नाराज होकर कुछ बोल देती है तो मुझे उसको मानना पड़ता है इसमें मुझे बहोत अच्छा लगता है उसको मनाओ । मेरी धड़कन है मेरी इबादत है वो ही तो है जिसे मैंने सबसे ज्यादा चाहा है उसके लिए मेरे दिल से हमेशा दुआ निकलती है हर पल उसकी सलामती की दुआ करता हू उसे हर पल याद करता हू चाहे मै किसी भी जगह रहू सिर्फ उसी का ख्याल बहोत प्यार है उसके बिना जी पाना क्या बताऊ जैसे मछली पानी के बिना नहीं रह सकती वेसे ही मै बिना उसके नहीं रह सकता कदापि नहीं। वो मेरी लिए बहोत ही अज़ीज़ है । उसके लिए एक शायरी
Udas hoon par tujhse naraz nahi,
Tere dil main hoon,par tere pass nahi,
Waise to sab kuch hain mere pass,
Par tere jaisa koi khass nahi.

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